हरिद्वार राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शांति कुंज, हरिद्वार में स्थापित 100 फीट राष्ट्रीय ध्वज का लोकापर्ण किया। राज्यपाल गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज के स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सम्मिलित हुये। राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने विश्वविद्यालय परिसर में स्थित महाकाल मंदिर में पूजा-अर्चना की तथा राज्य की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली के लिए प्रार्थना की। राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने विश्वविद्यालय परिसर में स्थित शौर्य दीवार पर पुष्पचक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने कहा कि मेरे लिए यह गौरव का क्षण है। राष्ट्रीय ध्वज हर भारतीय की आन-बान, शान एवं गौरव का प्रतीक है। मैं एक फौजी भी हूँ। यदि एक फौजी को तिरंगा फहराने और तिरंगे से जुड़े गौरवपूर्ण कार्य में शामिल होने का अवसर मिले तो इससे अधिक सौभाग्य का विषय कोई नहीं हो सकता। यह ध्वज एक आइकन है, एक प्रेरणा है।
राज्यपाल ले ज गुरमीत सिंह ने कहा कि वे बचपन में जब भी राष्ट्रीय ध्वज को देखते थे तो उन्हें एक आत्मीय हर्ष और उल्लास होता था। अपने आप दाहिना हाथ उठ कर तिरंगे को सलाम करता था। उनका सेना में जाकर देशसेवा करने का स्वपन बाल्यकाल से ही था। वे कैप्टन बनना चाहते थे। राज्यपाल ने कहा कि हमेशा राष्ट्र सर्वोपरी है। हमने यही सकंल्प लिया तथा इसी ध्येय के साथ जीवन जिया। राष्ट्रीय सुरक्षा प्राणों से ऊपर रही है। उन्होंने कहा ‘‘मैंने एक सैनिक की भूमिका में जीवन बिताया है, हर रोज राष्ट्रीय ध्वज को अंतर आत्मा ने श्रद्धा की दृष्टि से देखा है। जब भी कोई सैन्य चुनौती सामने आयी, यही एहसास मन में रहा है, कि अगर प्राणों की आहूति हुई तो एक सर्वोच्च सौभाग्य होगा। किसी भी सैनिक के लिए उसका पार्थिव शरीर इसी तिरंगे में लपेटा जाए, यही अंतिम अभिलाषा होती है।’’ राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में प्रत्येक व्यक्ति सैनिक है। देश का प्रथम परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले एक उत्तराखण्डी थे, यह गर्व का विषय है।
राज्यपाल ले ज गुरमीत सिंह ने कहा कि भारत की संप्रभुता और अखण्डता बनाये रखना तथा हर मैदान फतह करना और वहाँ तिरंगे को लहराता देखना, हर एक सैनिक का अंतिम लक्ष्य होता है। यह जज्बा हमारी संस्कृति से आता है। आज जो ध्वज लहरा रहा है, यह हर भारतीय, सैनिक, संत और विद्वानों के बलबूते पर ही सम्भव हो पाया है।