आयुर्वेद अनुसार कुछ प्रयोग ऐसे हैं, जिनसे नवजीवन समान प्रभाव पड़ता है। कुछ ऐसा ही प्रयोग है आंवला और शहद का।
जिसके इस्तेमाल से आपका शरीर एकदम फिट और उर्जा से ओतप्रोत हो जायेगा। अगर आप आंवला और शहद के प्रयोग का भरपूर फायदा उठाना चाहते हो तो निम्नलिखित विधि को पढ़े और इस्तेमाल करें।
विधि…
हरे आंवलों को कुचलकर या कद्दुकस कर कपड़े से छानकर आंवलों का रस निकाल लें। उसके बाद 15 ग्राम (तीन छोटे चम्मच) हरे आंवलों के रस में 15 ग्राम शहद मिलाकर प्रातः व्यायाम के बाद पी लें।
इसके पश्चात दो घंटे तक कुछ न लें।
हरे आंवलों के मौसम में निरंतर डेढ़ से दो मास इसे लेते रहने से काया पलट जाती है। सभी रोगों से बचे रहने के इच्छुक लोंगो के लिए यह एक श्रेष्ठ योग है और कायाकल्प के समकक्ष है।
विशेष…
- इसके सेवन से वीर्य विकार नष्ट होते है।
प्रमेह एवं मूत्र-गड़बड़ी ठीक होती है।
पेशाब में धातु जाने का रोग अच्छा होता है। वीर्य पुष्ट और वीर्य के विकार नष्ट करने वाली इसके बराबर शायद ही कोई दूसरी औषधि हो। - इससे आमाशय को बल मिलता है और शरीर में नए रक्त का निमर्ण होता है।
- सेवन-काल में ब्रम्हचर्य पालन करें और तेल, मिर्च, खटाई, गरिष्ट और तले पदार्थों से परहेज करें।
- सोम रोग की शिकार महिलाएं जिनकी पेशाब रोकने की सक्षमता के क्षय हो जाने से चेहरा बिलकुल निस्तेज हो गया हो और मूत्रस्त्रव बहुत अधिक होता हो, इस प्रयोग से उनका सोम रोग नष्ट होकर सौंदर्य लौट आता है।
- मासिक धर्म की अवधि में अमियमित्ता और मासिक धर्म की गड़बडि़यों में डॉकटरों के पास भागने से पहले इसे आजमा कर देंखे तो नब्बे प्रतिशत मामलों में यह प्रयोग प्रणाली को स्वाभविक दशा में ले आता है।
- सिर दर्द, नेत्र रोग आदि अनेकानेक रोगो से छुटकारा प्राप्त होकर नवजीवन प्राप्त होता है।
- उपरोक्त प्रयोग के साथ यदि आंवलों या त्रिफला जल से आँखों को धोते रहने से मोतियाबिंद को आराम मिलता है।
- ताजे आंवले को चबाने से मुख की गर्मी शांत होती है, आँखे स्वस्थ रहती है, कब्ज दूर रहती है। दिल और दिमाग की शक्ति बढ़ती है व चेहरे पर नई रौनक आती है। एक ताजा आंवले में नारंगी की अपेक्षा बीस गुना विटामिन ‘सी’ होता है।
- महर्षि चरक का मत है की जगत में जितनी भी रसायन औषधियां हैं उन सब में आंवला उत्कृष्ट है, क्योंकि इसमें जितने रोग निवारक, रक्तशोधक और आरोग्यवर्धक गुण है, उतने किसी अन्य वस्तु में नहीं।