हरिद्वार नगर निगम के चुनावों में 68.15 फीसदी मतदान हुआ। हरिद्वार में 63273 महिलाओं और 68528 पुरूषों ने वोट डाले। 193389 वोटों में कुल 131801 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया। हालांकि हरिद्वार में संतों के प्रयागराज होने के चलते मत प्रतिशत पर भी असर पड़ा है। जबकि कुछ स्थानों पर मतदाताओं ने उदासीनता दिखाई। चुनाव का यह प्रतिशत भाजपा की मेयर प्रत्याशी की जीत की राह को आसान बना रहा है। मेयर की सीट भाजपा के पक्ष में जाती दिखलाई पड़ रही है। जबकि पार्षदों की बात करें तो कांग्रेस और निर्दलीयों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। कुछ वार्डो में भाजपा पार्षद प्रत्याशियों से जनता की खासी नाराजगी देखने को मिली।
हरिद्वार नगर निकाय चुनाव नगर विधायक मदन कौशिक की प्रतिष्ठा पर लड़ा गया। भाजपा की मेयर प्रत्याशी किरण जैसल को टिकट दिलाने से लेकर चुनाव की रणनीति बनाने में मदन कौशिक की भूमिका अहम रही। मदन कौशिक मेयर प्रत्याशी किरण जैसल के सारथी बनकर चुनावी रणक्षेत्र में उतरे। मदन कौशिक ने साम, दाम, दंड, भेद की नीति अपनाकर चुनाव जीतने के लिए तमाम रणनीति अपनाई। विपक्षी पार्टी कांग्रेस के तमाम चुनावी मुददों का डटकर मुकाबला किया। कांग्रेस संगठन की कमजोरी का भी मदन कौशिक ने ने खूब फायदा उठाया।
जबकि कांग्रेस मेयर प्रत्याशी अमरेश बालियान के पुत्र वरूण बालियान भाजपा संगठन और नगर विधायक मदन कौशिक से अकेले मुकाबला करते दिखाई दिए। वरूण बालियान ने लोकतंत्र की गरिमा के अनुरूप शानदार तरीके से चुनाव लड़ा।
वरूण ने अपनी मां कांग्रेस प्रत्याशी अमरेश देवी बालियान को चुनाव में जीत दिलाने के लिए जबरदस्त तरीके से प्रचार किया और जनता के दिलों में जगह बनाने में कामयाबी हासिल की। हालांकि यह तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा कि उनको कितना वोट मिलेगा। लेकिन वरूण बालियान ने हरिद्वार की राजनीति में खुद को स्थापित कर दिखाया है। चुनाव परिणामों में वरूण बालियान की जबरदस्त परफारमेंस दिखाई देगी। जबकि कांग्रेस संगठन की नाकामी भी साफ नजर आयेगी। निकाय चुनाव में कांग्रेस संगठन बयानवीर तो बना लेकिन वरूण के सहयोगी की भूमिका में नजर नही आया। यही कारण रहा कि चुनाव के आखिरी वक्त तक वरूण बालियान अकेले ही संघर्ष करते दिखाई दिए। हरिद्वार की जनता से चर्चाओं की बात करें तो कांग्रेस को तमाम बूथों पर अच्छी बढ़त मिलती दिखाई दे रही है। लेकिन मेयर की सीट भाजपा के खाते में जाती दिखाई पड़ रही है।