डा साध्वी भगवती सरस्वती जी को अमेरिका में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने किया आमंत्रित
डा साध्वी भगवती सरस्वती जी ने अमेरिका की धरती से 10 वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग व भारतीय संस्कृति की दिव्यता का दिया संदेश
योग के वैश्विक परिदृश्य और सार्वभौमिक अभ्यास को बढ़ावा देने में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की महत्वपूर्ण भूमिका
योगगुरूओं, योगाचार्यों और योग प्रशिक्षण के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाली संस्थाओं को ‘नटराज योग अवार्ड’ से किया सम्मानित
व्यक्तिगत व सामाजिक कल्याण के मार्ग को बढ़ावा देने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका
करें योग-रहें निरोग
योग करो, रोज करो और मौज करो
स्वामी चिदानन्द सरस्वती
परमार्थ निकेतन, गंगा तट पर विश्व के 12 से अधिक देशों के 15 सौ से अधिक उत्साही प्रतिभागियों ने 10 वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर कॉमन योग प्रोटोकॉल का सामूहिक योगाभ्यास किया। इसके साथ ही परमार्थ निकेतन में आयोजित 10 दिवसीय काउंटडाउन का समापन हुआ।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनायें देते हुये कहा कि ‘करें योग और रहें निरोग।’ योग केवल आसनों का समुच्चय नहीं है बल्कि यह तो आत्म-खोज एवं आंतरिक शांति से विश्व शान्ति की एक विलक्षण यात्रा है। योग के माध्यम से शरीर, मन और आत्मा के सामंजस्य के साथ दुनिया में सकारात्मकता और करुणा का संचार किया जा सकता है। योग के माध्यम से स्वयं के स्वास्थ्य के साथ परिवार और समुदाय के स्वास्थ्य और कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त किया जा सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि योग, सदियों से भारतीय जीवन पद्धति का अंग है। योग, हमारे ऋषियों व “भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। “एक स्वस्थ व समृद्ध जीवन जीने की कला है। योग स्वयं व प्रकृति के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में भी सहयोगी है तथा योग पूरी दुनिया में शान्ति व एकता की भावना को विकसित करने का सबसे उपयुक्त साधन भी है। योग, एक ऐसा हथियार है जो वार नहीं करता बल्कि जीवन में सुधार करता है।
स्वामी जी ने कहा कि योग सबके लिये है, योग सबका है जैसे सूरज की रौशनी सबके लिये हैं; हवा और पानी सबके लिये हैं; धरती व आसमान सब के लिये हैं; सूरज, चांद और सितारे सबके लिये हैं वैसे ही योग भी सबके लिये है। आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर स्वामी जी ने सभी को संकल्प कराया कि अपने स्वास्थ्य के लिये प्रतिदिन योग करें और धरती मां के स्वस्थ्य को बनाये रखने के लिये एक पेड़ धरती मां के नाम जरूर रोपित करें।
आज विश्व संगीत दिवस के अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि संगीत दिल की भाषा है। जब बोलने के लिये शब्द नहीं रहते तो संगीत की धारा प्रवाहित होने लगती है। प्रसन्नता, उदासी, आश्चर्य और भय, संगीत में प्रत्येक भावना को व्यक्त करने की अद्भुत शक्ति है। संगीत एक उपचार पद्धति है जो सब घावों को भर देता है।
परमार्थ निकेतन में आयोजित 10 दिवसीय काउंटडाउन में देश-विदेश से आये योग जिज्ञासुओं ने सहभाग किया तथा आज कॉमन योग प्रोटोकॉल, सामूहिक योगाभ्यास के पश्चात सभी ने विश्व शान्ति यज्ञ में पूर्णाहुति अर्पित की। आज का पूरा दिन योग की विभिन्न विधाओं को समर्पित किया। सभी ने सायंकालीन विश्व विख्यात परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया।
योगाचार्य गंगा नन्दिनी त्रिपाठी जी ने कॉमन योग प्रोटोकॉल उत्सव का नेतृत्व किया। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों, योगाचार्य गायत्री और प्राची ने योग अभ्यास का प्रदर्शन किया। इस दिव्य कार्यक्रम को आयोजित करने हेतु स्वामी सेवानन्द, वन्दना शर्मा, राकेश रोशन, रामचन्द्र शाह, संदीप ऋषि, रोहन, प्रीति, वर्षा, सोनिया, एलेजांद्रा ट्रेजो, वीरता आदि परमार्थ निकेतन सेवा टीम ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।