आज के इस आधुनिक युग में हम अपनी प्राचीन परंपराओं को भुलते जा रहे हैं। हो सकता है कि हमें उन परंपराओं को आगे बढ़ाने में शर्म महसूस होती हो या फिर इसके कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं। लेकिन यकीन मानिए इन परंपराओं की अनदेखी करके हम खुद का ही नुकसान कर रहे हैं।
आज हम बात कर रहें हैं जमीन पर बैठ कर खाना खाने की परंपरा की। जो भारत की बेहद प्राचीन परंपराओं में से एक है।
आजकल लोग डाइनिंग टेबल पर या बिस्तर पर खाना खाने लगे हैं। हो सकता है आप भी उनमें से एक हों, लेकिन क्या आप जानते हैं विज्ञान इसको लेकर क्या कहता है?
बता दें कि विज्ञान का यह मानना है कि डाइनिंग टेबल के बजाय जमीन पर बैठकर खाना, खाना स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद फायदेमंद होता है। आईए आपको बताते हैं कि जमीन पर बैठकर खाना खाने के क्या लाभ है।
एक तरह का योगासन
जमीन पर बैठकर खाना खाने से एक तरह का योगासन होता है जिसे सुखासन कहते हैं। इस आसन के बहुत सारे लाभ है जैसे यह आसन मेरुदंड (रीढ़ की हड्डी) की परेशानियों से मुक्ति दिलाता है। इसके अलावा चिंता, अवसाद या अति क्रोध की भावना को शांत करके मानसिक शांति प्रदान करता है। इस आसन में बैठकर खाना खाते समय एक बात का विशेष ध्यान रखें कि मुंह में निवाला लेते समय आगे की तरफ ज्यादा ना झुकें।
मोटापा नहीं बढ़ता
सुखासन के अलावा आप खाना खाते समय अर्ध पद्मासन लगाकर भी बैठ सकते हैं जो कि बहुत अच्छा आसन हैं। इस आसन में बैठकर खाना खाने का लाभ यह है कि यह भोजन को धीरे-धीरे खाने और पचाने में मदद करता है। जिससे वजन नियंत्रण में रहता है और मोटापा नहीं बढ़ता।
रक्तचाप रहता है सामान्य
जमीन पर बैठकर खाने से कमर की हड्डी के निचले भाग पर दबाव पड़ता है, जिससे शरीर को आराम मिलता है और सांस थोड़ी मध्यम पड़ जाती है और आपका रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
पाचन क्रिया में आता है सुधार
गलत ढंग से खाना खाने से जो सबसे बड़ी और सामान्य समस्या होती है वो है पाचन-तंत्र का खराब होना। अगर आप जमीन पर बैठकर खाना खाएंगे तो कुछ ही दिनों में आपको फर्क महसूस होने लगेगा और इससे आपकी पाचन क्रिया में बहुत सुधार आएगा। साथ-ही-साथ पेट संबंधी बाकी समस्याओं से भी राहत मिलेगी।
हृदय बनेगा मजबूत
इस तरह बैठकर खाना खाने से शरीर में रक्त का प्रवाह सही होता है। जानकारी के लिए बता दें कि पाचन की प्रक्रिया में खून के प्रवाह का बहुत योगदान होता है। अगर आपका खाया हुआ भोजन जल्दी और सही तरीके से पचेगा तो हृदय को भी कम मेहनत करनी पड़ेगी।