हरिद्वार। बाघम्बरी मठ को लेकर नरेन्द्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद नित नए खुलासे हो रहे हैं। ऐसे में कुछ संतों का कहना है कि बाघम्बर गद्दी कभी श्री पंचायती अखाड़ा निर्वाणी की हुआ करती थी। बाद में विवाद के बाद गद्दी निरंजनी अखाड़े के कब्जे में चली गयी।
बता दें कि नरेन्द्र गिरि की मौत के बाद बाघम्बरी गद्दी का उत्तराधिकारी बलवीर पुरी को बनाए जाने की घोषणा के बाद भी अखाड़े के संतों में असहमति है। अखाड़े की करीब 10 मढि़यों के संत इसका विरोध कर रहे हैं। हालांकि पंचों की बैठक में बलवीर पुरी को महंत बनाए जाने की घोषणा कर दी गयी है। वहीं एक नया विवाद और सामने आया है। कुछ वरिष्ठ संतों का कहना है कि करीब एक शताब्दी पूर्व के लगभग बाघम्बरी गद्दी पर पंचायती अखाड़ा निर्वाणी का अधिकार था। बीच में विवाद के बाद गद्दी पर निरंजनी अखाड़े के संतों का कब्जा हो गया। तभी से गद्दी निरंजनी अखाड़े के संचालन में है।
वहीं निंरजनी के कुछ संत इस बात को सिरे से नकारते हैं, जबकि कुछ इसका समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि गद्दी पर निर्वाणी अखाड़े का अधिकार था ऐसा उन्होंने भी अपने गुरुजनों से सुना है। उन्होंने कहाकि इस बात की पुष्टि इससे भी होती है कि बाघम्बरी गद्दी के समीप ही बाघम्बरी बगीची है, जो निर्वाणी अखाड़े के अधिकार में है।
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December 7, 2024