हरिद्वार | समूचे प्रदेश एवं पड़ोसी राज्यों में लावारिसों की वारिस के नाम से प्रसिद्ध क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा एक साथ लगभग ढाई सौ अस्थियों का विसर्जन हरिद्वार में किया गया है,जो आज तक किसी भी महिला द्वारा नहीं किया गया।एक ऐतिहासिक आंकड़ों में तीन हजार के करीब अंतिम संस्कार से लेकर अस्थियों का विसर्जन करने में शामिल हैं।कोरोना काल के दौरान जहां अपने ही अपनों से दूर भाग रहे थे,इन परिस्थितियों में क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा अपनी जान पर दांव खेल कर शवों का अंतिम संस्कार किया गया था,जिसके बाद से क्रांतिकारी शालू सैनी लावारिसों की वारिस के नाम से प्रसिद्ध हो गई।जनपद के साथ-साथ पड़ोसी जनपदों एवं राज्यो में वर्ष 2019 से क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा मिथक को तोड़कर इस समाज सेवा को करने के लिए तन-मन-धन एवं निस्वार्थ भाव से शुरू की गई थी।आज हर आम व खास की जुबां पर लावारिसों की वारिस के नाम से छाई हुई हैं।उन्होंने जनता से अपील की कि कोई भी उनकी इस सेवा में उन्हें अपनी सहायता प्रदान कर सकता है।
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December 2, 2024